पहली बार ट्रैफिक जाम में फँसना
जीवन की हर यात्रा में कुछ अविस्मरणीय क्षण होते हैं, कुछ हँसी-मजाक से भरे, कुछ सीखने वाले और कुछ हमें जीवन की वास्तविकता से रूबरू कराते हैं। मुझे याद है, जब मैं पहली बार ट्रैफिक जाम में फँसा था, तब मैं एक छोटा बच्चा था। हम एक लंबी सड़क यात्रा पर निकले थे, और कार में मेरे माता-पिता और मैं थे।
शुरुआती कुछ घंटे तो मजेदार थे। खिड़की से बाहर का नज़ारा देखना, गाड़ी के अंदर गाने सुनना और खाने-पीने का लुत्फ़ उठाना। पर जैसे-जैसे दिन ढलता गया, गाड़ियों का रेला घना होता गया। सड़क पर गाड़ियों की लंबी कतारें लग गईं, और हम अपनी गाड़ी के आगे और पीछे फंसे हुए थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, गाड़ी चलने की उम्मीद कम होती गई।
मुझे याद है, मुझे उस समय बहुत बोरियत हुई थी। मैंने खिड़की से बाहर देखा, लेकिन वहाँ बस वही गाड़ियाँ और भीड़ दिखाई दे रही थी। मैंने अपनी माँ से पूछा, "माँ, हम कब घर पहुँचेंगे?" उनका जवाब था, "जल्द ही बेटा, थोड़ी देर और इंतज़ार करो।" पर मैं बहुत impatient था, मुझे लगा कि समय बहुत धीरे-धीरे बीत रहा है।
उस दिन मैंने ट्रैफिक जाम के बारे में सीखा, यह समय की बर्बादी, धैर्य की परीक्षा और कभी-कभी तनाव का कारण भी होता है। मैंने यह भी जाना कि समय का सदुपयोग करना और अपने आप को व्यस्त रखना ज़रूरी है।
आज, मैं बड़ा हो गया हूँ और ट्रैफिक जामों में फँसना अब मेरे लिए एक आम बात हो गई है। लेकिन उस दिन का अनुभव मुझे आज भी याद है, और उस अनुभव से मैं कुछ सीख गया हूँ। मुझे समझ आ गया है कि धैर्य एक बहुत बड़ा गुण है और अपने समय का सही इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी है।