व्यक्तिगत कारण:
* परिवारिक वातावरण: घर में अनुशासन की कमी, माता-पिता की अनुपस्थिति, गलत पालन-पोषण, बच्चों को ज़्यादा लाड़-प्यार, बच्चों को उचित सीमाएँ न बताना।
* माता-पिता की अनुपस्थिति: माता-पिता की अनुपस्थिति, बच्चों को ध्यान न देना, बच्चों के साथ समय न बिताना, बच्चों के साथ संवाद न करना।
* ग़लत दोस्तों का प्रभाव: बुरे दोस्तों का प्रभाव, दोस्तों के साथ गलत काम करना, दोस्तों से प्रेरित होकर अनुशासन तोड़ना।
* नैतिकता की कमी: नैतिकता का अभाव, ईमानदारी की कमी, सही और गलत में फर्क न समझ पाना।
* आत्म-नियंत्रण की कमी: अपने आप को नियंत्रित करने की क्षमता का अभाव, आवेगों पर काबू न रख पाना, धैर्य की कमी।
* नकारात्मक सोच: नकारात्मक विचार, निराशावाद, जीवन में सफलता की उम्मीद न रखना।
सामाजिक कारण:
* शिक्षा प्रणाली में खामियां: शिक्षा प्रणाली में अनुशासन की कमी, शिक्षकों का अनुशासनहीन व्यवहार, शिक्षा व्यवस्था में ग़लतियों का होना।
* मीडिया का प्रभाव: मीडिया में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देना, हिंसा और अश्लीलता को प्रदर्शित करना।
* ग़रीबी और बेरोज़गारी: ग़रीबी और बेरोज़गारी के कारण लोग निराश हो जाते हैं और अनुशासनहीनता का सहारा लेते हैं।
* सामाजिक असमानता: सामाजिक असमानता, ग़रीबी, भेदभाव, अत्याचार, लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा करते हैं।
* सामाजिक नैतिकता का पतन: समाज में नैतिकता का पतन, ईमानदारी की कमी, भ्रष्टाचार का बढ़ना।
राष्ट्रीय कारण:
* राजनीतिक अस्थिरता: राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, कानून का राज न होना, लोगों में अनुशासन की कमी पैदा करता है।
* अर्थव्यवस्था में मंदी: अर्थव्यवस्था में मंदी, बेरोज़गारी, लोगों में हताशा और निराशा पैदा करती है।
* समाज में सामाजिक भेदभाव: समाज में सामाजिक भेदभाव, जातीयता, धर्म, लिंग के आधार पर भेदभाव, लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा करता है।
अनुशासनहीनता को रोकने के लिए व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने की ज़रूरत है।