तिरुपति बालाजी का इतिहास: एक पौराणिक कथा
तिरुमाला-तिरुुपति में स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी का मंदिर, जिसे तिरुुपति बालाजी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और उनकी एक लोकप्रिय अवतार, श्री वेंकटेश्वर के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है और कई पौराणिक कथाओं से भरा है।
पौराणिक कथाएँ:
* श्री वेंकटेश्वर की कहानी भगवान विष्णु की अवतार श्री निवास से शुरू होती है। कहा जाता है कि उन्होंने एक ऋषि, श्री निवास के अवतार में, पृथ्वी पर आए और यहां एक पहाड़ पर तपस्या की।
* तपस्या से प्रसन्न होकर, श्री निवास को वेंकटेश्वर नाम दिया गया और उन्होंने अपनी पत्नी पद्मावती के साथ इस पहाड़ पर निवास किया।
* कहा जाता है कि वेंकटेश्वर ने लोगों की समस्याओं को दूर करने और उनकी सुख-समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए वेंकटेश्वर स्वामी का मंदिर बनाया।
* मंदिर के निर्माण में गरुड़ (भगवान विष्णु के वाहन) ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ऐतिहासिक संदर्भ:
* तिरुमाला-तिरुुपति में मंदिर का पहला उल्लेख 7वीं शताब्दी के पल्लव राजा नरसिम्हा वर्मन के शासनकाल में मिलता है।
* 10वीं शताब्दी में, चोल राजा राजेंद्र चोल ने मंदिर के निर्माण में योगदान दिया और इसे समृद्ध किया।
* 13वीं शताब्दी में, विजयनगर साम्राज्य के शासकों ने मंदिर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसके निर्माण का विस्तार किया।
* मुगल शासकों ने भी मंदिर को संरक्षण दिया और इसका विस्तार किया।
आधुनिक काल:
* आज, तिरुुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे समृद्ध और लोकप्रिय मंदिरों में से एक है।
* हर साल लाखों लोग यहां भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए आते हैं।
* मंदिर का प्रबंधन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) करता है, जो एक धार्मिक और सांस्कृतिक संगठन है।
विशेषताएँ:
* तिरुुपति बालाजी मंदिर का वास्तुकला अद्भुत है, जिसमें दक्षिण भारतीय शैली के तत्वों का मिश्रण है।
* मंदिर में कई मंदिर, मंडप और हॉल हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं।
* यहां भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति का स्वरूप अनोखा है।
* मंदिर के गोल्डन कवर और डायमंड नोज मंदिर की सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं।
तिरुुपति बालाजी हिंदू धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह मंदिर not only a religious site but also a cultural heritage centre.