आदम और हव्वा की कहानी
एक समय की बात है, जब धरती पर कोई इंसान नहीं था। सिर्फ़ ईश्वर था, और उसका बगीचा, जिसे "एडन गार्डन" कहा जाता था। इस बगीचे में हर तरह के खूबसूरत पेड़-पौधे थे, फल-फूल थे, और जानवर भी थे।
ईश्वर ने इस बगीचे में मिट्टी से आदम नाम के आदमी को बनाया। आदम को देखकर ईश्वर खुश हुआ और उसने उसे इस बगीचे का राजा बना दिया।
ईश्वर ने आदम से कहा, "तुम इस बगीचे में रहो और जितना चाहो, उतना फल खाओ। लेकिन एक पेड़ को छूना मत, जो बीच में है। उसे 'ज्ञान का पेड़' कहते हैं। उसका फल खाने से तुम बुद्धिमान हो जाओगे, पर तुम्हें ईश्वर से अलग हो जाना पड़ेगा।"
आदम ने ईश्वर की बात मान ली और बगीचे में खुशी से रहने लगा। लेकिन, एक दिन एक सांप आदम की पत्नी हव्वा के पास आया और बोला, "ईश्वर ने तुम्हें यह पेड़ क्यों छूने से मना किया है? वह जानता है कि अगर तुम इसका फल खाओगे, तो तुम बुद्धिमान बन जाओगे, और ईश्वर की तरह हो जाओगे।"
हव्वा को सांप की बातों पर यकीन हो गया और उसने पेड़ का फल खा लिया। फिर उसने आदम को भी फल खिलाया।
जब ईश्वर को पता चला कि आदम और हव्वा ने उसकी बात नहीं मानी, तो वह बहुत दुखी हुआ। उसने उन्हें बगीचे से निकाल दिया, और उन्हें कहा कि उन्हें अब कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, और दुख और दर्द सहना पड़ेगा।
इस घटना के बाद, आदम और हव्वा ने कई बच्चे पैदा किए, और इंसानों की दुनिया शुरू हो गई।
यह कहानी हमें बताती है कि ईश्वर की बात मानना बहुत जरूरी है। गलतियाँ करने से हम ईश्वर से दूर हो जाते हैं, और हमें कष्ट उठाना पड़ता है।