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Life sketch of mirabai in Hindi?

मीराबाई का जीवन वृत्तांत (Life Sketch of Mirabai in Hindi)

मीराबाई, भक्ति आंदोलन की एक प्रसिद्ध संत और कवयित्री थीं, जिनका जन्म 15वीं शताब्दी में राजस्थान के मेड़ता में हुआ था। वे राजपूत राजकुमारी थीं और मेड़ता के राजा रत्न सिंह की पोती थीं। मीराबाई कृष्ण भक्ति में डूबी हुई थीं और उन्होंने अपने जीवन को भगवान कृष्ण की सेवा में समर्पित कर दिया था।

प्रमुख जीवन घटनाएं:

* जन्म और पालन-पोषण: मीराबाई का जन्म कुछ इतिहासकारों के अनुसार 1498 में हुआ था, हालांकि उनके जन्म की सही तारीख अनिश्चित है। वे मेड़ता के राजा रत्न सिंह की पोती थीं और उन्हें एक धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल में पाला गया था।

* शादी और विधवा जीवन: उनका विवाह 16 साल की उम्र में मेड़ता के राजा भोजराज के साथ हुआ था। लेकिन, मीराबाई अपने पति के साथ शादीशुदा जीवन में खुश नहीं थीं और उन्होंने भगवान कृष्ण के प्रति अपनी प्रेम भक्ति को ही ज़िंदगी का केंद्र बना लिया। उनके पति की मृत्यु के बाद, मीराबाई को अपने ससुराल में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा।

* कृष्ण भक्ति और धार्मिक यात्रा: मीराबाई ने अपनी कृष्ण भक्ति के कारण अपने परिवार और समाज से तोड़ दिया और अपना पूरा जीवन भगवान कृष्ण की सेवा में समर्पित कर दिया। वे दक्षिण भारत और अन्य स्थानों पर यात्रा करती रहीं और भगवान कृष्ण की भक्ति के गीत गाती रहीं।

* लेखन: मीराबाई एक प्रसिद्ध कवयित्री थीं और उनके भजनों और गीतों का संग्रह "मीरां बाईं की वाणी" के नाम से प्रसिद्ध है। इन गीतों में उन्होंने अपने कृष्ण प्रति प्रेम और आत्मसमर्पण को उजागर किया है।

* मृत्यु: मीराबाई की मृत्यु 1547 में हुई थी। उनके जीवन और काव्य आज भी हमें भगवान कृष्ण की भक्ति और आत्मसमर्पण का एक उदाहरण पेश करते हैं।

मीराबाई के जीवन का महत्व:

* भक्ति आंदोलन: मीराबाई ने भक्ति आंदोलन को नया आयाम दिया और उन्होंने अपने काव्य और जीवन से भगवान कृष्ण की भक्ति को जन-जन तक पहुंचाया।

* सामाजिक बदलाव: मीराबाई ने अपने जीवन से समाज में रूढ़िवादिता और अंधविश्वास का विरोध किया और महिलाओं के सशक्तिकरण का संदेश दिया।

* साहित्यिक योगदान: मीराबाई की कविताएं अपनी भावनात्मक गहराई और भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका काव्य आज भी लोगों को मोहित करता है।

मीराबाई का जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। उनके जीवन और काव्य से हम भगवान कृष्ण की भक्ति, आत्मसमर्पण, और सच्चा प्रेम सीख सकते हैं।

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