हरित क्रांति के प्रमुख लक्षण:
* उच्च उपज देने वाली किस्मों का विकास: नई और अधिक उपज देने वाली फसलों की किस्मों को विकसित किया गया, जैसे कि धान और गेहूं।
* रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग: फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का व्यापक उपयोग किया गया।
* सिंचाई सुविधाओं का विस्तार: सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाया गया ताकि फसलें अधिक पानी प्राप्त कर सकें।
* आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग: कृषि तकनीकों को बेहतर बनाया गया, जिसमें मशीनरी का उपयोग, बीजों की बुवाई और खाद्यान्न भंडारण में सुधार शामिल हैं।
* सरकार की नीतियाँ: सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ बनाईं।
हरित क्रांति के प्रभाव:
* खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि: भारत में खाद्यान्न उत्पादन में नाटकीय वृद्धि हुई, जिससे देश आत्मनिर्भर बन गया।
* अकाल और भुखमरी में कमी: हरित क्रांति के कारण भारत में अकाल और भुखमरी में काफी कमी आई।
* कृषि क्षेत्र में रोजगार: हरित क्रांति के कारण कृषि क्षेत्र में कई नौकरियाँ पैदा हुईं।
* देश की अर्थव्यवस्था में विकास: हरित क्रांति ने भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
हरित क्रांति के नकारात्मक पहलू:
* पर्यावरण प्रदूषण: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा है।
* भूमि क्षरण: भारी रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से भूमि क्षरण की समस्या बढ़ी है।
* पानी की कमी: सिंचाई के विस्तार से पानी की कमी की समस्या उभरी है।
* किसानों की आर्थिक असमानता: हरित क्रांति के लाभ कुछ बड़े किसानों के हाथों में गए, जिससे छोटे किसानों की स्थिति अधिक कठिन हो गई।
निष्कर्ष:
हरित क्रांति भारत के लिए एक ऐतिहासिक घटना थी जिसने देश को खाद्यान्न अकाल से बचाया। हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है। अब समय आ गया है कि हम एक नई और सतत कृषि पद्धति को अपनाएँ जो पर्यावरण के लिए अच्छी हो और किसानों को अधिक लाभ दे।