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Barsaat ka pehla din essay in Hindi?

बरसात का पहला दिन

धरती की प्यासी धरती पर जब आकाश से बूंदें बरसने लगती हैं, तब प्रकृति एक नया रूप धारण कर लेती है। बरसात का पहला दिन, अनगिनत सपनों और उम्मीदों से सजा होता है। पृथ्वी की धूल मिट्टी धुल जाती है और सब कुछ साफ सुथरा और चमकता हुआ दिखाई देता है।

जब पहली बूंद ज़मीन पर गिरती है, तो वह ठंडक और सुकून का अहसास कराती है। गरमी की तपती धूप से राहत मिलती है और हवा में एक नई ताज़गी आ जाती है। पेड़ पौधे खुश होते हैं और अपनी हरी पत्तियां फैलाते हैं। फूल खिलते हैं और सुगंध से वातावरण महक उठता है।

बरसात का पहला दिन बच्चों के लिए भी बहुत ख़ुशी का दिन होता है। वे बाहर खेलते हैं, बरसात में भीगते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। घर के बाहर की सड़कें भीगने के बाद खाली हो जाती हैं, और केवल बरसात की रिमझिम ध्वनि सुनाई देती है। ये शांतता और सुकून का समय होता है।

इस दिन लोग अपने घरों से बाहर निकल कर बरसात का लुत्फ़ लेते हैं। कई लोग छाता लेकर घूमते हैं, तो कुछ बरसात में भीगने का आनंद लेते हैं। बरसात के मौसम में सर्दी का आलिंगन मिलता है और शरीर में गर्माहट का एहसास होता है। चाय की चुस्की लेते हुए बरसात को निहारना एक अलग ही आनंद देता है।

बरसात का पहला दिन एक नए अध्याय का प्रारंभ होता है। इस दिन प्रकृति जैसे नवजात शिशु की तरह सुंदर और जीवंत दिखाई देती है। यह दिन हमारे मन को ताज़ा करता है और हमारे जीवन में खुशियाँ भर देता है।

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