पौराणिक कथा के अनुसार:
* उनाकोटी में एक कुम्हार (मिट्टी के बर्तन बनाने वाला) रहता था जिसका नाम कल्लू था।
* कल्लू बहुत ही धार्मिक व्यक्ति था और भगवान शिव की भक्ति करता था।
* एक दिन, कल्लू ने शिवजी से प्रार्थना की कि वह उसे अपने दर्शन दें।
* शिवजी प्रसन्न हुए और कल्लू को दर्शन देने के लिए उनाकोटी आए।
* शिवजी ने कल्लू से कहा कि वह जितने भी मिट्टी के बर्तन बना सके, बना ले, और हर बर्तन में एक दीपक जलाकर रख दे।
* कल्लू ने सारी रात बर्तन बनाए और हर बर्तन में दीपक जलाया।
* सूर्योदय होने पर, कल्लू ने देखा कि शिवजी और उनके साथ अन्य देवी-देवता भी उपस्थित हैं।
* शिवजी ने कहा कि उसने इतनी भक्ति से दीपक जलाए हैं कि वह कल्लू को "उनाकोटी" का नाम देता है।
इस कहानी के अनुसार, कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से जुड़ गया और यह स्थान कल्लू के नाम पर ही जाना जाने लगा।
ऐतिहासिक दृष्टिकोण:
* यह भी संभव है कि कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से जुड़ गया क्योंकि वह इस क्षेत्र में मिट्टी के बर्तन बनाने वाला पहला व्यक्ति था।
* उनाकोटी क्षेत्र में मिट्टी के बर्तन बनाने की परंपरा बहुत पुरानी है और कल्लू कुम्हार का नाम इस परंपरा के साथ जुड़ गया होगा।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये दोनों कहानियाँ परंपराओं और लोककथाओं से ली गई हैं और ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित नहीं हैं।